मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

चुनावी सिंबलों की वार्षिक गुप्त बैठक

राजनीतिक दलों के सिंबलों की वार्षिक गुप्त बैठक चल रही थी। हाथी ने सबसे पहले संबोधन दिया। हाथी बोला-अपनी बिरादरी में रह कर कितना सुकून था। यही बोल कमल, साइकिल, लालटेन, पंजा, ताला-कूंची, छाता वगैहर-वगैहर के मुख से भी फूट रहे थे।

सब एक-दूसरे से बड़े प्यार और स्नेह से अपना दुख-दर्द बयां कर रहे थे। कह रहे थे कि नेता लोग षडय़ंत्र पूर्वक हमें राजनीति में घसीट लाए। हम हर बार इनके चंगुल से निकलने के लिए छटपटाते हैं। लेकिन इन्होंने हमें इस कदर बंदी बना रखा है कि हम इतनी कोशिश के बाद भी इनका जाल नहीं काट पा रहे हैं। सब एक-दूसरे दयनीय से सहानुभूति जता रहे हैं। कई सिंबल सुबक पड़े तो उसे सबने मिलकर सांत्वना दी। तब ही कमल ने कहा-भाई हाथी तुम तो इतने बलशाली हो फिर भी तुम निकलने में असमर्थ हो। फिर हमारी तो बिसात ही क्या? हाथी ने कहा-राजनीति गलियारों की बनावट बहुत टेढ़ी और संकरे कर दिए गए हैं, अन्यथा यहां से कब का फरार हो जाता।

कमल ने कहा-जैसे जेल से कैदी आएदिन भागते हैं, वैसे। हाथी ने कहा-ऐसा ही समझो मेरे भाई कमल। तुम क्यों दुखी हो झाड़ू तुम्हारे आका तो भले मानुष बताए जाते हैं। फिर तुम क्यों दुखी हो। झाड़ू ने कहा-अच्छे इंसान से क्या होता है। मैं खुद सजा पा रहा हूं। घरों में सफाई करके ही खुश था। यहां तो आएदिन अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है। मतदाता भी हमारी अच्छाई समझकर हमें वोट देते हैं, लेकिन वो भी ठगे जाते हैं जीत के बाद। और गालियां हमें पड़ती है। लालटेन ने चहकते हुए कहा-हम सब इस राजनीतिक मांद से भाग तो सकते हैं साइकिल पर बैठ कर। तब ही साइकिल हांफने लगी। उसके बोल फट पड़े-नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। तुम सबका बोझ तो मैं झेल सकता हूं, पर हाथी का नहीं। मेरा तो अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

कमल बोला-देखो भाई, हम में से एक भी यहां छूट गया तो यह हमें फिर से इस नर्क कुंड में झोंकने के लिए पकड़ लाएंगे। इसलिए एकता से काम लेना पड़ेगा। क्योंकि संगठन में ही शक्ति है। चलो, यहां से भागने की योजना बनाते हैं। साइकिल ने कहा-कमल मैं तुम्हारे कुनबे में पल रहे नेताओं की रग-रग से वाकिफ हूं। तुम भी उनके साथ रह कर वैसे ही बन गए हो। तुम भी कूटरचित नीति अपना रहे हो। कमल ने कहा-तुम इसलिए बोल रहे हो ना कि तुम्हारी पंजे से फिर दोस्ती हो गई है। लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि फिर से तुम एक-दूसरे से नाराज नहीं होंगे।

पंजे ने कहा-कमल तुमने जरूर कोई योजना बना रखी है हमें परलोक सिधारने की और खुद के बच निकलने की। तुम बच गए तो फिर तुम्ही को शासन करना है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच वही हुआ, जो हर साल बैठक में होता है। हाथी को गुस्सा आ गया और वह ऐसा पगला गया कि सबको बैठक छोड़कर भागना पड़ता। 

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