शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

साजिश से फटा 'कुर्ता'

कुर्ता और चरखे का सदियों पुराना रिश्ता है। जब भी चरखे की बात शुरू होती है तो कुर्ता खुद-ब-खुद चर्चा में आ जाता है। अन्यथा युवराज का फटा कुर्ता जग जाहिर होने से पहले चरखा सुर्खियां नहीं बंटोरता। आखिर फटा कुर्ता पहनना कहां की मजबूरी हो सकती है। क्या वे हमेशा फटा कुर्ता ही पहनते हैं या उनके सारे ही कुर्ते फटेहाल में हैं। अगर एक ही कुर्ता फटा हुआ है तो वह कैसे फटा। मुद्दा तो यही होना चाहिए था, लेकिन इसकी मूल जड़ तलाशने की बजाय इस पर से ध्यान भटकाया गया। क्योंकि अब धीरे-धीरे यह तथ्य सामने आ रहा है कि जिस दिन फटा कुर्ता भारी भीड़ के बीच उजागर हुआ था वह धूल-धूसरित चरखे के सूत से बना था।

यह चरखा भी फटेहाल कुर्ते के कुछ ही दिन पहले चला था। यह अधमरा-सा चरखा चलाया था देश के सबसे शक्तिशाली शख्स ने। जो स्वयं तो विशेष अवसरों पर सूटबूट पहनते हैं, लेकिन खादी के प्रचारक बनते हैं। वैसे तो चरखा चलाना भी एक विशेष अवसर था, पर पोज देने के चक्कर में शायद सूटबूट पहनना भूल गए थे। वे पहले ही जानते थे कि इस चरखे से जो सूत निकलेगा, उससे युवराज का कुर्ता बनेगा। मौके की नजाकत को देखकर ऐसा सूत काता गया, जिससे देश की जनता के बीच युवराज की दीनता का रहस्य उजागर हो गया। एकदम से जब चरखे की चर्चा होने लगी तब युवराज को यह पता चल गया कि जानबूझ कर उनके लिए ऐसा सूत काता गया ताकि कुर्ता फट जाए और उनकी हालत देखकर जग हंसाई हो और हुई भी।

सचमुच कुर्ते का यह सूत जल्दबाजी में काता हुआ प्रतीत होता है। मंच से युवराज कहना भी यही चाहते थे कि उनका कुर्ता बनाने के पीछे बहुत बड़ी साजिश रची गई है। इसमें सत्तापक्ष का हाथ है। वरना, खादी का कुर्ता तो उनके परिवार की पहचान रहा है। साथ ही कुर्ता पहनते ही साधारण आदमी भी नेता की इमेज में नजर आता है। परंतु जनता युवराज भी भावना को सही से नहीं समझ पाई। परंतु जो लोग चतुराई को पालते हैं वे समझ गए और खोजबीन करने में लग गए कि चरखा और कुर्ते की एक साथ चर्चा क्यों होने लगी है। तथ्य कुछ ऐसे ही निकल कर सामने आ रहे हैं। कुछ तथ्य और भी हैं जो समय के गर्भ में छिपे बैठे हैं। यह भी पता चलेगा कि युवराज के और कितने कुर्ते फटे हुए हैं। खादी भंडार वाले खुश है कि फिर से खादी के अच्छे दिन लौट कर आ रहे हैं। वह तो यही चाहते हैं कि देश-दुनिया में जितने भी लोग उनके कुर्ते पहनते हैं वह सभी फट जाए, जिससे फटेहाल में पहुंच चुकी खादी में सुधार आ जाए। 

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