शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

साइकिल प्रेम

शहरों में कितनी ही रफ्तार से मोटर गाडिय़ां चलती हों, पर आज इन तेज दौड़ते भांति-भांति के वाहनों के बीच साइकिलें दिख जाती हैं। हर साल महंगे से महंगे वाहनों की डिमांड बढ़ रही हो, लेकिन अभी साइकिल के दीवानों की कमी नहीं है। साइकिल चलाने का भी कुछ अपना मजा है। सड़क पर कितना ही जाम लगा हो, लेकिन साइकिल चलाने में कुशलता रखने वाले लोग उसे जैसे-तैसे करके निकाल ही लेते हैं और बड़े-बड़े वाहनों के मालिक देखते ही रह जाते हैं। साइकिल दीवाने अक्सर शॉर्ट कट रास्ता अपनाते हैं ताकि गंतव्य पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके और पहुंच भी जाते हैं।
छोटी-छोटी और तंग गलियों से साइकिल को इतने सलीके से निकालते हैं, जैसे उससे अच्छा दुनिया में कोई दूसरा आवागमन का साधन है ही नहीं। बस सबको छकाते हुए आगे निकल जाती है। तब साइकिल सवार पलट कर एक बार जरूर देखता है पीछे रह जाने वालों की शक्ल। साथ ही यह हर मौसम में अनुकूल रहती है। गर्मी में ठंडी हवा लगती है तो सर्दी में पेडल मारने पर शारीरिक ऊर्जा निकलने से शरीर में गर्मी बनी रहती है। बारिश के मौसम में भी सड़कों पर पानी भरने के बाद सरलता से उसे निकाल लिया जाता है। बारिश के मौसम में तो साइकिल चलाने का आनंद ही अलग होता है। हर साल नए-नए और लग्जरी वाहन आ रहे हैं, लेकिन साइकिल ने आज भी अपना महत्व कायम कर रखा है। बच्चों में तो आज भी साइकिल जा जबर्दस्त क्रेज बना हुआ है। बच्चे जब थोड़े-से बड़े होते हैं तो उनकी पहली डिमांड ही साइकिल की होती है। माता-पिता भी उसे कभी मना नहीं करते हैं। या तो उसे नई साइकिल खरीद कर दे देते हैं या फिर वह खुद ही किराये से साइकिल लेकर चलाने लगता है। आज भी देश-विदेश में साइक्लिंग प्रतियोगिताएं होती हैं। जो लोग साइकिल चलाने के दीवाने हैं उनके लिए तो साइकिल ही बाइक है और साइकिल ही कार। आज तो सरकार भी इस पर जोर दे रही है। इसीलिए तो स्कूली छात्राओं को साइकिलें दी जा रही हैं। साइकिल में एक यह भी फायदा है कि इसे चलाने के लिए पेट्रोल-डीजल की भी जरूरत नहीं रहती। कुछ तो बात है इस साइकिल में। वरना यूं ही यूपी के पिता- पुत्र साइकिल के लिए नहीं लड़ते। साइकिल की लड़ाई लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच गई। दोनों ही साइकिल को अपनी अपनी बताने में लगे हैं। कभी उसी साइकिल पर दोनों आगे-पीछे बैठकर पूरे प्रदेश में घूमा करते थे, लेकिन अब दोनों ही साइकिल से एक-दूसरे को पटकना चाहते हैं। जबकि साइकिल पर दोनों आराम से सवार हो सकते हैं। अब जिस साइकिल का चालान तक का नियम नहीं है, उसी के जब्त होने का खतरा है। 

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