शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

अंगूठे का सम्मान

भीम नामक मोबाइल एप के कारण अंगूठे ने एक बार सबका ध्यान अपनी तरफ  खींचा है। क्योंकि समाज भले ही अंगूठे को दुत्कारता रहा हो, लेकिन सरकार निरंतर इसे बढ़ावा दे रही है। मसलन, ज्यादा पढ़-लिख लेनेवाले लोग अनपढ़ और कम पढ़े- लिखे वालों को अंगूठा छाप मानते हैं। कई बार उनकी उलाहना भी कर देते हैं। ऐसा करना तो जैसे वो अपना अधिकार मान लेते हैं। माना आज के जमाने में पढऩा-लिखना बेहद जरूरी है। लेकिन अंगूठा छाप कहने से क्या अंगूठा बुरा नहीं मानता। पढ़-लिखकर लोग यह मान लेते हैं कि 'चलो अब इस अंगूठे से तो छुटकारा मिला।'

लेकिन सरकार समय-समय पर जिस तरह से अंगूठे को मान-सम्मान देती रहती है उससे नहीं लगता कि अंगूठे से कभी पीछा छूटेगा। सरकार में पूछ बढऩे से अंगूठा फिर से इतरा रहा है। इतराए भी क्यों नहीं। क्योंकि यह अंगूठा है ही इतने काम का। शायद लोग यह भूल जाते हैं कि अंगूठा सदियों से सर्वमान्य और सर्वोपरि रहा है। महाभारत काल को ही ले लो, जब गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में अंगूठा मांग लिया था ताकि अर्जुन से बड़ा कोई दूसरा धनुर्धारी ना हो सके। यानी अंगूठे की महत्ता को कभी किसी ने कम नहीं आंका। आज तो पहले की तुलना में अंगूठे की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि हम भले ही आधुनिक काल में जी रहे हैं, लेकिन मोबाइल चलाने के लिए अंगूठे से उपयुक्त और कुछ नहीं। यहां तक कि सरकारी महकमों और निजी दफ्तरों में तो अंगूठे के बिना हाजिरी तक नहीं होती। यानी वेतन लेना है तो बायोमेट्रिक मशीन ने अंगूठा पंच करना ही पड़ेगा। राशन भी बिना अंगूठा पंच किए नहीं मिलता जिसका अंगूठा पंच नहीं होता उसे राशन नहीं मिल पाता। इसलिए अपना अंगूठा हमेशा अपने पास रखना चाहिए। उसे अपना ज्यादा दिमाग लगाकर कहीं भूलने की जुर्रत नहीं करनी चाहिए। इस बार जिस तरह से अंगूठे को मान दिया गया है उससे लगता है कि अंगूठा है तो सबकुछ है। क्योंकि मोबाइल एप भीम से अंगूठे के पंच से खरीदारी कर सकेंगे। भीम नाम को भले ही बाबा साहेब के नाम पर रखा गया हो लेकिन पांचों अंगुलियों में यही सबसे मजबूत होती है ठीक महाभारत के भीम की तरह। एक बात और भी है कि दिनोदिन बढ़ती अंगूठे के सम्मान से शरीर के दूसरे अंग शायद ईष्र्या भी करने लगे। उनको लगने लगे कि दिनोंदिन उनका सम्मान कम होता जा रहा है, उनकी पहले जितनी कद्र नहीं रही। पर यह अंगूठा बिना किसी की परवाह किए आगे बढ़ता जा रहा है। किसी के रोकने से भी यह नहीं रुकेगा और अपना वर्चस्व हर जगह पर कायम करेगा। नोटबंदी के दौर में कैशलेस व्यवस्था थोड़ी-सी भी सफल होती है तो उसमें अंगूठे के योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा।

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